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कजकुलाही<ref> गर्व से टोपी को सीधा धारण करना</ref> से, न मतलब रेशमी शालों से है,दोस्ताना यार मेरा सिर्फ़ मतवालों से हैहै।
शायरी का शौक़ तो ताज़ा है लेकिन दोस्तो,सिलसिला तो हुस्नवालों से मिरा सालों से हैहै।
उड़ के जायेगा जाएगा भला वो जंगली पंछी कहाँ,जिसकी सिरयानों <ref>धमनी</ref> में खुशबू आम की डालों से हैहै।
परकटे पंछी चमन में रेंगते से देखकर,जाने क्यों इक ख़ौफ़ सा हरदम तिरे बालों से हैहै।
हम के तज दें दी ज़िन्दगी तक उस परी पैकर के नाम,फिर भी उसको बैर सा हम चाहने वालों से हैहै।
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