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पत्र-पेटी / प्रयाग शुक्ल

9 bytes removed, 11:58, 1 जनवरी 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|संग्रह=अधूरी चीज़ें तमाम यह एक दिन है / प्रयाग शुक्ल
}}
 <Poem>
इस सुदूर गाँव में
 टँगी टंगी हुई पत्र-पेटी 
एक पेड़ के तने से--
 
डालता हूँ तुम्हें चिट्ठी
 
पहुँचे तो
 
पढ़ना ज़रूर !
</poem>
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