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Kavita Kosh से
<poem>
दोनों बच्चियां बच्चियाँ सो रही हैं
छोटी मेज़ में ओठों के कोने पर हँसती हुई
बड़ी बडबडाती-
पापा बहार बाहर मत जाना
मत जाने दो-पापा को उधर...
फोड़ दो और
बताओ हँसकर
फोड़ दो पेट हवा का
हँसी से
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