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बाढ़ / चन्द्रकान्त देवताले

3 bytes removed, 17:49, 18 जनवरी 2009
<poem>
दोनों बच्चियां बच्चियाँ सो रही हैं
छोटी मेज़ में ओठों के कोने पर हँसती हुई
बड़ी बडबडाती-
पापा बहार बाहर मत जाना
मत जाने दो-पापा को उधर...
फोड़ दो और
बताओ हँसकर
मंझ्रातमंझरात
फोड़ दो पेट हवा का
हँसी से
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