भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[सुधि करो कहा करते थे सकरुण ”सुन्दरि! दुख निर्मूल करो / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कहते थे, ”मेरी दृगपुतरी! मुझको न स्वयं से दूर करो / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[हमको जीवनधन! जगा रहे थे बैठ प्रेम से सिरहाने / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[तुमने मेरा शरदेन्दु भाल फिर हौले हौले सहलाया / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[था कहा ”पहेली बूझ रहे प्रेयसि, कबरी-श्लथ म्लान सुमन / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[बोले ”सित दशने! भानु प्रसव पीड़ा से अरूण हुई प्राची / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[कहते ”उमड़ी परिरंभण की तृप्तिदा त्रिवेणी” प्राणेश्वर / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[सुधि करो प्राण! पावस की घन-बोझिल सन्ध्या अभिरामा थी / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[पूछा था एक बार “सागर क्यों खोले धवल ऊर्मि-अंचल / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[पूछा था “हे प्रियतम! कैसे तुम अगणित स्वर गढ़ लेते हो / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[पूछा था, “क्यों करता ऐसा प्रियतम! अमिताभ अंशुमाली / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[था कहा कभीं “हे प्राणेश्वरि! मत पूछो कैसे जीता हॅ /प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[ प्रेयसि-विरहित होता न तल्प मम मधु-धन होता अल्प नहीं” / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[ निर्मोही कैसे हुए प्राण! किस भाँति बिसार दिया ममता / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[ उमड़े अम्बर में प्रिय! आषाढ़ी घन बैठी रोती हूँ मैं / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[ तुम मृदुल सुमन से कभीं हमारे प्रियतम! पाटल चिबुक छुये / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[ नयनों से पिघल-पिघल कज्जल कर रहा कपोलों को श्यामल / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[ जाने हमको क्या हुआ आज इतना व्याकुल है मेरा मन / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[ गिरि मौन, धरित्री मौन, मौन नभ अनुपम मौन सुमन-श्वाँसे / प्रेम नारायण 'पंकिल']]* [[ वह दिन न भूलता पूछ रहे “कैसे आया यह परिवर्तन / प्रेम नारायण 'पंकिल']]