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{{KKRachna
|रचनाकार=सौदा
}}
[[category: ग़ज़ल]]

<poem>
इस क़दर साद-ओ-पुरकार1 कहीं देखा है
बेनमूदार2 इतना नमूदार3 कहीं देखा है

ख़्वाह4 काबे में तुझे ख़्वाह मैं बुतख़ाने में
इतना समझूँ हूँ मिरे यार कहीं देखा है

दुख-दहिंद5 और भी हैं लेक6 किसी के कोई
दिल-सा भी दर-पए-आज़ार7 कहीं देखा है

नज़र आती ही नहीं शक्ले-रिहाई8, मुझ-सा
साइते-बद9 का गिरफ़्तार कहीं देखा है

फिरे है कूच-ओ-बाज़ार में तू क्यों 'सौदा'
जिंसे-दिल10 का भी ख़रीदार कहीं देखा है

'''शब्दार्थ:

1. सादा और नाज़-नख़रे वाला, 2. अप्रकट, 3. प्रकट, 4. चाहे, 5. दुख देने वाले, 6. लेकिन, 7. कष्ट देने पर आमादा, 8. रिहाई का उपाय, 9. बुरी साइत, 10. दिल रूपी वस्तु
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