भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बौछार / रेखा

626 bytes added, 22:58, 6 फ़रवरी 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा |संग्रह=चिंदी-चिंदी सुख / रेखा }} <poem> अचानक उ...
{{KKGlobal}}

{{KKRachna

|रचनाकार=रेखा
|संग्रह=चिंदी-चिंदी सुख / रेखा
}}
<poem>
अचानक
उमड़-घुमड़ हो आई बहुत
कर ली सबने बंद
घर की सांकलें
माँ की चिरौरी से उकताई
डाँट से ढीठ बनी
शरारत कोई
ले आती है छत पर

सहसा
घेर लेती है आकर
ठंडी बौछार
ऐसा ही है तुम्हारा प्यार!
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits