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|रचनाकार=येव्गेनी येव्तुशेंको
|संग्रह=धूप खिली थी और रिमझिम वर्षा / येव्गेनी येव्तुशेंको
}}
[[Category:रूसी भाषा]]
<Poem>
'''(गिओर्गी इवानोफ़ की स्मृति में)
मुझे नहीं भाता
 
मेरा भावी स्मारक
 
लगाया जाएगा जो
 
तीसरी दुनिया के किसी देश में
 
जहाँ महाशक्तियाँ चुपचाप
 
अपनी जेब में रखे कमंद में
 
अपनी जुएँ छिपाकर
 
घूँसे उछालती हैं
 
जहाँ झुके हुए हैं केले के पेड़
 
और पड़े हुए हैं सड़े-गले राकेट
 
--बस इतने ही फल हैं हमारे पास
अन्तोनफ़्का किस्म के सेब नहीं है
 
 
मुझे नहीं चाहिए
 
स्मारक
 
मैं तो बस इतना चाहता हूँ कि
 
लौटा दिया जाए मुझे
 
मौत के बाद ख़त्म हुआ देश
</poem>