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{{KKRachna
|रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा
}}
<poem>
यह वादा करो
कभी ना उदास होंगे;
सृष्टि के कष्ट चाहे सब साथ होंगे.
प्रसन्नता के क्षणों को
एकांत से ना सजाना;
हम ना सही, कुछ लोग खास होंगे.
दुःख में स्वयं को
कभी अकेला ना समझना;
दिल के तेरे हम पास-आस होंगे.
देखना कभी ना
नज़रों को उठा कर;
कुछ अश्रु, कुछ प्रश्नों के वास होंगे.
तन्हा ना घूमना
जंगल में तन्हाइयों के ;
कुछ टूटे फूटे शब्द मेरे तेरे पास होंगे.
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा
}}
<poem>
यह वादा करो
कभी ना उदास होंगे;
सृष्टि के कष्ट चाहे सब साथ होंगे.
प्रसन्नता के क्षणों को
एकांत से ना सजाना;
हम ना सही, कुछ लोग खास होंगे.
दुःख में स्वयं को
कभी अकेला ना समझना;
दिल के तेरे हम पास-आस होंगे.
देखना कभी ना
नज़रों को उठा कर;
कुछ अश्रु, कुछ प्रश्नों के वास होंगे.
तन्हा ना घूमना
जंगल में तन्हाइयों के ;
कुछ टूटे फूटे शब्द मेरे तेरे पास होंगे.
</poem>