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Kavita Kosh से
संसद के बाहर खड़ी हैं,
खड़ी रहें?
' गलतफहमी है आपको .
संसद के बाहर खड़ी हैं,
खड़ी रहें!
उन्हें बाहर खड़े रहना ही होगा
कम से कम तब तक
सर्वग्रासी
फार्मूला.
शी.........................
कोई सुन न ले...............
चुप्प ...............!
चुप रहो,
संसद के बाहर खड़ी हैं,
खड़ी रहें!
कुछ ऐसा करो
कि वे चीखे, चिल्लाएं,
सुलह के लिए
हमारे पास आएं.
हमने किसानों का एका तोड़ा,
आरक्षण के ब्राह्म मुहर्त में
इकट्ठा हुईं इन औरतों के बीच!
फिर देखना :