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|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'}}{{KKPageNavigation|पीछे=|आगे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 2|सारणी=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल'
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विरम विषम संसृति सुषमा में मलिन न कर मानस मधुकर,
वहां स्रवित संतत रसगर्भी सच्चा श्री शोभा निर्झर !