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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर |संग्रह=}}<poem>रास्ते में जब हमारी आंखें मिलती हैं
मैं सोचता हूं मुझे उसे कुछ कहना था
पर वह गुजर जाती है
वह बात जो मुझे उसे बतानी थी ।
'''अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल</poem>