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|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
}}
<poeMpoem>आज नदी बिलकुल उदास थी।
सोई थी अपने पानी में,
उसके दर्पण पर-
मैंने उसको नहीं जगाया,
दबे पांव घर वापस आया।
</poeMpoem>
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