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Kavita Kosh से
अंग्रेजी में बुने गए हैं अक्षर
शक भी नहीं होता कि
उसे धुंधलाएगी धुँधलाएगी
समय की धूल
रूमाल अब कुछ नहीं कहते
गैस स्टोव साफ़ करते-करते
अब समझे हैं
कैसे बन जाती है रूमालों की पोंछन
महीन कागजों काग़ज़ों की कुल्हाडि़याँ कुल्हाड़ियाँ |
'''4.