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Kavita Kosh से
कहने सुनने से ज़रा पास आके बैठ गये।
निगाह फेर के त्योरी चढ़ा के बैठ गये॥
निगाहे-यास मेरी काम कर गई अपना।
रुलाके उट्ठे थे वो मुस्करा के बैठ गये॥
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