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दिल अगर फूल सा जिंदगी को सजा नही होतापायायू किसी ने छला बोझ इसका उठा नही होतापाया
था ये बेहतर कि कत्ल कर देतीखूब चश्मे बदल के देख लिएरोते रोते मरा तीरगी को हटा नही होतापाया
प्यार का मैं सबूत क्या देताचीर कर दिल में रहते है दिल रुबाओं केआशिको का पता दिखा नही होतापाया
ज़िन्दगी ज़िन्दगी जो थका ही नही तब तकसज़ा देतेइश्क जब तक हुआ वो खता क्यों बता नही होतापाया
पाप वो जो बिखरा है तिनके की गठरी हो गई भारीसूरतवरना इतना थका बोझ अपना उठा नही होतापाया
होश आईने में रह के ज़िन्दगी जीताखुदा को देखा जबतो यू रुसवा हुआ ख़ुद से उसको जुदा नही होतापाया
जुर्म हालात करवा देते नाम जगदीश हैकहा उसनेआदमी तो बुरा और कुछ भी बता नही होता ख़ुद से उल्फत जो कर नही सकतावो किसी का सगा नही होता क्यों ये दैरो हरम कभी गिरतेआदमी ग़र गिरा नहीं होतापाया </poem>