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है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब
और बाक़ी मेरे तेरे दरम्याँ सदहा सदहा१ हिसाब।
दीद अन्दर दीद, हैरानम हेजाब अन्दर हेजाब
वाय बावस्फ़े ईं क़दर-राजो-नयाज़ ईं इजतेनाब।
दिल में यूँ बेदार बेदार२ होते हैं ख़यालाते-ग़ज़ल
आँख मलते जिस तरह उट्ठे कोई मस्ते-शबाब।
आतशे-रुख़सार में कल्बे-तपाँ का इल्तहाब।
चूड़ियाँ बजती हैं दिल में, मरहबामरहबा३, बज़्मे-ख़यालखिलते जाते हैं निगाहों में जबीनों जबीनों४ के गुलाब।
काश पढ़ सकता किसी सूरत से तू आयाते-इश्क़
एक आलम पर नहीं रहती है कैफ़ीयाते इश्क़
गाह रेगिस्ताँ भी दरिया, गाह दरिया भी सुराब।सुराब५।
कौन रख सकता है इसको साकिनो-जामिद कि ज़ीस्त
इनक़लाबो - इनक़लाबो - इनक़लाबो - इनक़लाब ।
ढूँढिये क्यों इस्तेआरे इस्तेआरे६ और तशबीहो तशबीहो७ - मिसाल
हुस्न तो वो है बतायें जिसको हुस्ने - लाजवाब ।
हस्त जन्नत की बहारें चन्द पंखडि़यों में बन्द
गुन्चा खिलता है तो फ़िरदौसों फ़िरदौसों८ के खुल जाते हैं बाब।बाब९।
आ रहा है नाज़ से सिम्ते - चमन को ख़ुशख़िरामख़ुशख़िराम१०दोश दोश११ पर वो गेसू-ए-शबगूँ शबगूँ१२ के मँडलाते सहाब।सहाब१३।
हुस्न ख़ुद अपना नक़ीब, आँखों को देता है पयाम
रह गयी सौ बार झुक-झुक कर निगाहे कामयाब।
हर नज़र जलवा है हर जलवा नज़र हैरान हूँ
आज किस बैतुलहरम बैतुलहरम१६ में हो गया हूँ बारयाब।बारयाब१७।
बारहा, हाँ बारहा मैने दमे-फ़िक्रे-सुखनसुखन१८छू लिया है उस सुकूँ को जो है जाने- इज़्तेराब।इज़्तेराब१९।
सर से पा तक हुस्न है साज़े-नुमू नुमू२० राज़े - नुमूनुमू२१
आ रहा है एक कमसिन पर दबे पाँवों शबाब।
ऐ ’फ़िराक़’ उठती है हैरत की निगाहें बा अदब
अपने दिल की खिलवतों से हो रहा हूँ बारयाब।
शब्दार्थ :
१- सैकड़ों, २- जाग्रत, ३- धन्य हो, ४- माथा, ५- मृगतृष्णा, ६- रूपक, ७- उपमा, ८- स्वर्ग, ९- द्वार, १०- अच्छी चाल वाला, ११- कंधा, १२- रात की तरह केश वाला, १३- बादल, १४- परोक्ष, १५- रिकाब में पैर जा रहा, १६- अल्लाह का घर मस्जिद, १७- प्रवेश प्राप्त, १८- काव्य चिन्तन के समय, १९ - व्याकुलता की आत्मा, २०- उभरने, उत्पत्ति लेने वाला गीत, २१- उत्पत्ति का मर्म।
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