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जपाकुसुम का फूल / लावण्या शाह

223 bytes added, 18:57, 12 सितम्बर 2009
बन पराग, उडा़ दे, रंग दे, केसर मिश्रित धूल!
लाल लाल, कोमल पंखुरियाँ, अजुरी अंजुरी भरी गुलालरंग भीना, मन मानस तरसे, जपाकुसुम का फूल! सांस सांस मृदंग बजेगी झाँझर की झालर झमकेगीरोली कुमकुम, भर करे आरती, जपाकुसुम का फूल!
</poem>
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