भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
औ’ दर्द – दया उपजाती है
मदिरा हर प्राणी को अक्सर
संवेदनशील बनाती है। १४०ये भोली-भाली है हालाकैसी मतवाली है हालाचखने में कड़वी है लेकिनपर चीज़ निराली है हाला</poem>