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काल क्रम से- / हरिवंशराय बच्चन

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जिसको बूझा बुकरात नहीं-
क़‍िस्मत क़िस्मत का प्यारा धन-कंचन
सहसा अपहृत हो जाने पर
गुरू ज्ञानी धोखा खाते हैं-
स्‍वप्‍नों स्वप्नों का प्‍यारा प्यारा धन-कंचन
सहसा अपहृत हो जाने पर
अपना सपना,
इन्‍हें इन्हें छोड़कर जीवन जितना,
उसमें भी आकर्षक कितना!
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