भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मुक्त अम्बर गया, अब हो
:::जलधि-जीवन को!"
द्सकल :सकल साभिप्राय;
समझ पाया था नहीं मैं,
:::थी तभी यह हाय!
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits