भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>रचना यहाँ टाइप करें</poem>== शीर्षक ==
मधु गीति सं. ५६७, रचना दि. १६ अक्टूवर, २००९ ( दीपावली की पूर्व संध्या)
मैं दीप जलाता हूँ उर में, मैं राग जगाता हूँ सुर में;
गोपाल बघेल 'मधु'
टोरंटो, ओंटारियो, कनाडा
www.AnandaAnubhuti.com;
www.PerceptionOfBliss.com