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|रचनाकार=त्रिलोचन
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<poem>दुनियाँ
और इस में मिलने वाले जीव जंतु
किसी नें बनाए हैं क्या--
और यह बनाने वाला रक्षक है
और दयामय है?

हँसने की बात है--
एक के पीछे दूसरा, दूसरे के पीछे तीसरा,
तीसरे के पीछे चौथा-एसे ही सबके पीछे
कोई न कोई लगा हुआ है। मौका मिला तो
चहेंटने वाला स्रष्टा को धन्यवाद देते हुए
अपने पेट सहलाता है।

स्रष्टा कहीं होगा तो
परम कौतुकी होगा--
उसे दया-माया से क्या लेना!

25.09.2002</poem>
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