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|संग्रह= सुनो कारीगर / उदय प्रकाश
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आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं सोचता.
आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं बोलता.
कुछ नहीं सोचने
और कुछ नहीं बोलने पर
आदमी
मर जाता है.
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