भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तकलीफ़ / जया जादवानी

1,255 bytes added, 16:21, 22 नवम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= जया जादवानी
|संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य / जया जादवानी
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
मैं उसे पीठ पर बिठा कई दिनों
घुमाती रही लगातार
बहुत दिनों बाद आई थी वह
अचानक झपट्टा मार सवार हुई इस तरह
कि जान छुड़ाना जी का जंजाल हो गया
पीठ धनुष हुई जा रही
छूट ही नहीं रही किसी निशाने पर वह
आख़िर थककर उछाल दिया ज़मीन पर
घिसटती रही देर तक पैर पकड़े-पकड़े
गुज़र रही हूँ मैं कई दिनों से
नज़र उसकी बचाए
डर है उसे भी कि भुला ही न दी जाए
हम दोनों एक ही घर में रहते हैं
हमारे बीच अबोला है
बरसों से...।
</poem>