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* [[जंगल के दिन-भर के सन्नाटे में / विनोद कुमार शुक्ल]]
* [[जो शाश्वत प्रकृति है उसमें पहाड़ है /विनोद कुमार शुक्ल ]]
* [[दूर से अपना घर देखना चाहिए /विनोद कुमार शुक्ल ]]
* [[मंगल ग्रह इस पृथ्वी के बहुत पास आ गया है / विनोद कुमार शुक्ल]]
* [[आँख बंद कर लेने से / विनोद कुमार शुक्ल]]
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