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अभी समय है सुधार कर लो ये आनाकानी नहीं चलेगी
सही की नक़ली मुहल मुहर लगाकर ग़लत कहानी नहीं चलेगी
घमण्डी वक़्तों के बादशाहों बदलते मौसम की नब्ज़ देखो