भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
ऊधव कैं चलत गुपाल उर माहिं चल,
::आतुरी मची सो परै कही न कबीनि सौं ।
कहै रतनाकर हियौ हूँ चलिबै कौ संग,
::लाख अभिलाख लै उमहि बिकलीनि सौं ॥
आनि हिचकी ह्वै गरै बीच सकस्यौई परै,
::स्वेद ह्वैं रस्यौई परै रोम झंझारीनि सौं ।
आनन दुवार तैं उसास ह्वै बढ़्यौई परै,
::आँसू ह्वै कढ़्यौई परै नैन खिरकीनि सौं ॥20॥
</poem>
916
edits