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|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवान-ए-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
कभी नेकी भी उसके जी में आ जाये है मुझ से
जफ़ायें<ref>अत्याचार</ref> करके अपनी याद शर्मा जाये है मुझ से
उधर वो बदख़ू और मेरी दास्तान-ए-इश्क़ तूलानी बदगुमानी<brref>संदेह</ref>इबारत मुख़्तसर, क़ासिद भी घबरा जाये है मुझसे , इधर ये नातवानी<brref>कमज़ोरी<br/ref>है ना पूछा जाये है उससे, न बोला जाये है मुझ से