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Kavita Kosh से
हर नए मोड़ पर कुछ लोग बिछड़ जाते हैं
यूँ, हुआ दूरियाँ कम करने लगे थे दोनों
रोज़ चलने से तो रस्ते भी उखड़ जाते हैं
भीड़ से कट के न बैठा करो तन्हाई में
बेख़्याली में कई शहर उजड़ जाते हैं
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