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पिता के नाम (एक) / अनिल जनविजय

24 bytes added, 19:31, 18 अप्रैल 2011
|रचनाकार=अनिल जनविजय
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे / अनिल जनविजय
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<Poem>
मुझे याद है पिता
वसंत की वह कोमल सांझसाँझतुम आँगन में oैठे बैठे थे और
तुम्हारे स्मॄति-कैनवास पर
विभिन्न फूलनुमा घटनाएँ डोल रही थीं