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'''अपूरित प्रार्थनाएं'''
भूखी नंगी प्रार्थनाएँ
अब बूढ़ी हो चली हैं,
ग़ुलामी और मुफ़लिसी के सिवाय
हमें दिया क्या है?
(सृजन संवाद, संपा. ब्रजेश, अंक ९, २००९ )
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