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नया पृष्ठ: <poem>आकाश के अनंत छोर तक पहुंच बच्चों के लिए चुग्गा जुटा कर सांझ समय …
<poem>आकाश के अनंत छोर तक पहुंच
बच्चों के लिए चुग्गा जुटा कर
सांझ समय वापिस पहुंच सकूं
अपने घोंसले में
वे पंख देना मुझे ।
युगों से अंधकार में गुम
सुखों को शोध सकूं
भावी पीढ़ियों के लिए
वह आंख देना मुझे
अन्यथा ओ ईश्वर !
कृपा के नाम पर
कृपया
कोई कृपा मत करना मुझ पर
'''अनुवाद : मोहन आलोक'''
</poem>
बच्चों के लिए चुग्गा जुटा कर
सांझ समय वापिस पहुंच सकूं
अपने घोंसले में
वे पंख देना मुझे ।
युगों से अंधकार में गुम
सुखों को शोध सकूं
भावी पीढ़ियों के लिए
वह आंख देना मुझे
अन्यथा ओ ईश्वर !
कृपा के नाम पर
कृपया
कोई कृपा मत करना मुझ पर
'''अनुवाद : मोहन आलोक'''
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