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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …
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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
लाल-झर-झर-लाल-झर-झर-लाल
हरा बस किंचित कहीं ही जरा-जरा
बहुत दूरी पर उकेरे वे शिखर-डांडे श्वेत-श्याम
ऐसा हाल!
अद्भुत
लाल!
बकरियों की निश्चल आंखों में
खुमार बन कर छा गया
आ गया
मौसम सुहाना आ गया
00
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|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
लाल-झर-झर-लाल-झर-झर-लाल
हरा बस किंचित कहीं ही जरा-जरा
बहुत दूरी पर उकेरे वे शिखर-डांडे श्वेत-श्याम
ऐसा हाल!
अद्भुत
लाल!
बकरियों की निश्चल आंखों में
खुमार बन कर छा गया
आ गया
मौसम सुहाना आ गया
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