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Kavita Kosh से
बेबस-बेसुध, सूखे-रुखडेरुखडे़,
हम ठहरे तिनकों के टुकडेटुकडे़,
टहनी हो तुम भारी-भरकम डाल की
यह तो नयी नयी दिल्ली है, दिल मेन में इसे उतार लो
एक बात कह दूं मलका, थोडी-सी लाज उधार लो
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