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शहर में लड़की / नवनीत पाण्डे

530 bytes removed, 11:59, 4 जुलाई 2010
बच्ची नहीं है
सयानी है।
लड़की
लड़की
जब भी आती है निकल कर
घर से बाहर
शहर की गली-सड़क-चौराहे पर
लड़की नहीं होती
मेनका होती है
और -
हर गली,सड़क और चौराहा
जहां-जहां से होकर गुजरती है लड़की
होता है-
विश्वामित्रों की भीड़ से अटा
एक तपोवन
</poem>
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