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Kavita Kosh से
<Poem>
रास्ते में जब हमारी आँखें मिलती हैं
मैं सोचता हूं हूँ मुझे उसे कुछ कहना था
पर वह गुज़र जाती है
और हर लहर पर बारंबार टकराती