भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नज़रें मिलती हैं जाम मिलते हैं
मिल रही है हयात <ref>ज़िन्दगी, जीवन</ref> फूलों की ।
कौन देता है जान फूलों पर
वो शराफ़त तो दिल के साथ गई
लुट गई कायनात <ref>दुनिया</ref> फूलों की ।
अब किसे है दमाग़े तोहमते इश्क़
जैसे सहरा में रात फूलों की ।
</poem>
 
{{KKMeaning}}
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,142
edits