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बाबू सर्विस ढूँढते, थक गए करके खोज ।

अपढ श्रमिक को मिल रहे चालीस रुपये रोज़ ॥

चालीस रुपये रोज़, इल्म को कूट रहे हैं ।

ग्रेजुएट जी रेल और बस लूट रहे हैं ॥

पकड़े जाँए तो शासन को देते गाली ।

देख लाजिए शिक्षा-पद्धति की खुशहाली ॥
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