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Kavita Kosh से
धुंए के साथ ऊपर उठूँगा मैं,
बच्चो जिसे तुम पढ़ते हो कार्बन दाई आक्साइड,
वही बन कर छा जाऊंगा मैं,
पेड़ कहीं होंगे तो और हरे हो जायेंगे,
फल कहीं होंगे तो और पाक पक जायेंगे.
जब उन फलों की मिठास तुम तक पहुंचेगी,
या हरियाली भली लगेगी,
तब तुम मुझे पहचान लोगे,
और कहोगे, "अरे पापा"