भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
यदि दृष्टि प्राप्‍त हो जाती मेरे विवेक को
कब्रों क़ब्रों के बीच मेरे विवेक को दिखाई दे जाता मैं
गहराई में लेटा हुआ,
वह मुझ स्‍वयं को दिखाता
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,056
edits