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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=बेनी }}[[Category:पद]]<poeM>कहै 'कवि बेनी, बेनी ब्याल की चुराइ लीनी।रती-रती शोभा सब रति के शरीर की।अब तौ कन्हैया जू को चित्त चुराई लीन्ही,चोरटी है गोरटी या छोरटी अहीर की॥</poeM>