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रात / लीलाधर मंडलोई

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करवटें बदलते हुए अमूमन
रात बीत जाती है

कोई एक विचार आ धमकता है भयानक
और एक बेचैन नदी का शोर
सुनाई पड़ता है रात भर
पत्‍नी की सांसों में

बिल्‍ली के रोने की आवाज में
एक रात और बीत जाती है
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