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देवताओं के देश में
देवता, अब,
यहाँ-वहाँ
कहीं नहीं
दिखते।
 
देवता, अब,
आदमियों के बनाए
देवता-
केवल कलाकृतियों में
दिखते हैं
सर्वांग सुन्दर-
स्वस्थ और प्रसन्न-
पुण्यात्मा-
जरा-मरण-हीन-
पावन-प्रवीण-
आदमियों को
दासानुदास
बनाए-
स्वयं से सन्तुष्ट।
रचनाकाल: ०९-०३-१९७९
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