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Kavita Kosh से
मैं उन्हें तंग नहीं करूँगा
इस अशिष्ट दुनिया की
खुरदरी जमीं जमीन पर बुलाकर
और नहीं कहूँगा कि--
वे तुम्हें निचाट में छोड़
ढेरों बातें करें
मेरा मन बहलाएँ.