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तस्वीरें / राजेश चड्ढ़ा

8 bytes removed, 23:08, 22 अक्टूबर 2010
<poem>तस्वीरें
 
चिपकी रहती हैं
 
दीवारों पर ।
 
जब कभी
 
उन से ,
 
लिपट जाती हैं
 
स्मृतियां ,
 
बोलने लगती हैं
 
तस्वीरें ।</poem>
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