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Kavita Kosh से
पीड़ा के अभिशाप व्याल-से
काल-भाल को डसते जाते
समय बदलता रहा
प्रगति भी सदा रही है,
इसमें कड़वे औ' मीठे
सब फल उगते हैं ।
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