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जिस दिन से आए / रमेश रंजक

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नाम नहीं लेते जाने का
घर की लिपी-पुती बैठक से
कम काम ले रहे तहखाने तहख़ाने का
धक्के मार निकालूँ कैसे ?
ये मुझसे तगड़े हैं ।
</poem>
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