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पात-पात में साँसें छाईं ।
आमों की सुगन्ध से खिंच कर
वैदेशिक जन आए हैं घर,
बन्दनवार बँधे हैं सुन्दर,
सरिताएँ उमड़ीं, उतराईं ।
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