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|भाषा=खड़ी बोली
}}
 '''बिदाई गीत -2<brpoem>'''पिताजी काहे को ब्याही परदेस…<br>हम तो पिताजी थारे झाम्बे की चिड़िया<br>डळा मारै उड़ जाएँ , <br>काहे को ब्याही परदेस…<br>हम तो पिताजी थारे खूँटे की गउँवाँ<br>जिधर हाँको हँक जाएँ , <br>काहे को ब्याही परदेस…<br>हम तो पिताजी थारे कमरे ईंटें, <br>जिधर चिणों चिण जाएँ, <br>काहे को ब्याही परदेस…<br/poem>
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