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शिव शिव हर हर जपत जग / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग भैरव-तीन ताल)

शिव शिव हर हर जपत जग मन-वाणी सौं नित्य।
 लहत नित्य आनन्द सो भव दुख मिटत अनित्य॥
 दुर्लभ हर-पद-रति परम शिव-स्वरूपको ज्ञान।
 पावत सो नर सहज ही शुद्ध हृदय मतिमान॥